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अपने घर में भी है रोटी

Gokarn Banarasi
Gokarn Banarasi
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इंडियन साइंscience7स कांग्रेस के इनागरेशन सेशन में प्राइम मिनिस्टर मनमोहन सिंह ने फॉरेन कंट्रीज में बसे भारतीय वैज्ञानिकों से अपील की है कि देश सेवा की खातिर वे अपने मुल्क वापस लौट आएं. प्रधानमंत्री का यह बयान नाम फिल्म में आनंद बख्शी के लिखे एक पुराने गाने की याद ताजा कर गया. गाने के बोल थे… तुने पैसा बहुत कमाया, इस पैसे ने देश छुड़ाया. देस पराया छोड़ के आजा, पंछी पिंजरा तोड़ के आजा. आजा उमर बहुत है छोटी, अपने घर में भी है रोटी. चि_ी आयी है, वतन से चि_ी आयी है. जैसे इस गीत में एक कशिश है, शिद्दत भरी गुजारिश है. ठीक उसी तरह की भावनात्मक अपील भी है प्राइम मिनिस्टर की. उन्होंने कहा कि आज वक्त आ गया है जब परदेस में काम कर रहे हिन्दुस्तानी वैज्ञानिक माटी का कर्ज उतार दें.
हकीकत भी यही है. इंडियन साइंस इंस्टीच्यूट्स की क्वालिटी में सुधार के लिए आज हमें अपनों के मदद की दरकार है. दरअसल प्रधानमंत्री की चिंता साइंस के प्रति स्टूडेंट्स में कम होते रुझान को लेकर थी. यह बात आमतौर पर अब नोटिस की जाने लगी है कि टेलेंटेड स्टूडेंट्स साइंस के बजाय कॉमर्स पढऩे को तवज्जो देने लगे हैं. उनका सोचना है कि कॉमर्स उनके करियर को मल्टीपल चांसेज अवलेबल कराता है. बात यहीं खत्म नहीं होती. साइंस या इंजीनियरिंग की फील्ड में जो आ भी रहे हैं वो ग्रेजुएशन के बाद मोटे पैकेज पर नौकरी करने विदेश निकल जाते हैं. पोस्ट ग्रेजुएशन या रिसर्च वर्क में उनकी दिलचस्पी कम होती है. अगर वे करते भी हैं तो उसके लिए मुल्क से बाहर जाना चाहते हैं. इससे हम अपनी मेधा को संजो कर रख नहीं पा रहे हैं.
जाहिर है इन सब वजहों से भारतीय वैज्ञानिक संस्थानों में लगातार गिरावट आयी है. इस गिरावट ने साइंस के प्रति लोगों की दिलचस्पी और भी कम कर दी. इन सब हालात के बीच एक सवाल उठना लाजिमी हो जाता है कि पीएम की इस अपील के बाद स्वदेश लौटने वाले साइंटिस्ट को रोजगार का अवसर देने का क्या हमारे पास कोई इंतजाम है? शायद नहीं. अपने घर कौन नहीं लौटना चाहता. पहले हम उनके लिए कोई व्यवस्था तो करें. हम उन्हें ये बताएं कि आप अपने मुल्क में इस एरिया में रिसर्च या डेवलपमेंट का काम कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें संसाधन सुलभ कराएं. इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर फाइनेंसियल मदद मुहैया कराएं. ये सारा काम सिस्टम का है. चंूकि अपील प्रधानमंत्री की ओर से है, इस लिए हो सकता है कि ये सारे इंतजामात हो जाएं. इस उम्मीद के साथ हमें घर लौटने वाले अपनों के ग्रैंड वेलकम की तैयारी करनी चाहिए.

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