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महंगाई डायन खाय जात है

Gokarn Banarasi
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राष्ट्रीय विकास परिषद की दिल्ली मीटिंग में प्राइम मिनिस्टर और फाइनेंस मिनिस्टर ने एनर्जी सेक्टर में दी जा रही सब्सिडी पर लगाम लगाने की वकालत क्या कर दी, अपने मुल्क के हर बंदे को खुद में ‘पीपली लाइव’ के तमाम कैरेक्टर्स नजर आने लगे. महंगाई का करैला एक तो वैसे ही डाहे है और उस पर भी अगर वो सब्सिडी कटौती के नीम पर चढ़ा मिले तो फिर पूछना ही क्या. एनडीसी कि इस मीटिंग में जो प्रपोजल्स रखे गये उनके मुताबिक डीजल के रेट में जल्द ही हाइक होने वाली है. गवर्नमेंट का तो कहना है कि यह बढ़ोतरी हर महीने महज एक रुपए की होगी और सिर्फ दस महीने तक लगातार चलेगी. मतलब दस महीने में दस रुपए का इजाफा.
शायद इसी को हम और आप कहेंगे जोर का झटका धीरे से. डीजल या पेट्रोल ऐसी चीज है जिसमें जरा सी वृद्धि मार्केट में तमाम जिन्सों के रेट में उठापटक मचा देती है. चूंकि माल का ट्रांसपोर्टेशन ट्रक से होना है तो ढुलाई के चार्जेस तो बढ़ेंगे ही. ऐसे में फूड ग्रेन्स से लेकर यावत चीजों के रेट कार्ड का ग्राफ ऊपर की ओर उठता हुआ दिखायी देगा. इन सबको कहने का मतलब सिर्फ इस बात के लिए आगाह करना है कि आने वाले वक्त में महंगाई और मारेगी.
इस बीच सेंट्रल स्कूल्स ने भी अपने ऐनुअल फीस में दोगुने की बढ़ोतरी करने की बात कही है. यह सच है कि प्राइवेट स्कूलों के फीस स्ट्रक्चर को देखते हुए सेंट्रल स्कूल में एजुकेशन आज भी किफायती है लेकिन यह बढ़ोतरी भी कहीं न कहीं से पेरेंट्स की जेब ढीली करेगी. जेब कहते ही याद आया, इंडियन रेलवे ने अपने खानपान सेवा के रेट में भी जबर्दस्त वृद्धि की है. अब नये रेट के मुताबिक जनता थाली स्टेशन पर दस के बजाय 15 रुपए में और पेंट्री कार में 20 रुपए में मिलेगी. रेल नीर भी अब 12 में नहीं 15 रुपए प्रति बोतल मिला करेगा. मार्केट के करेंट सिचुएशन को देखते हुए रेट कार्ड में हेरफेर का होना नेचुरल है. यही चीज एजुकेशन फीस में बढ़ोतरी के बारे में भी कही जा सकती है लेकिन इसके साथ ही शर्त ये भी है कि पैसा देकर सेवा या सामान खरीद रहा शख्स क्वालिटी से समझौता क्यों करे? बेशक आप उसकी क्वांटिटी में कटौती कर लीजिए लेकिन माल तो उसे अच्छा ही चाहिए. खाना हो या पढऩा पब्लिक को टॉप क्लास का ही दिया जाना चाहिए. ये उनका जायज हक भी बनता है. वैसे यह एक कॉमन सोच है कि क्या महंगाई की कोई लिमिट है भी या नहीं. सिस्टम इस बारे में क्या सोचता है यह दीगर बात है लेकिन एक आम आदमी कि ओपीनियन है कि इसे रोकने के लिए तत्काल कारगर कदम उठाये जाने चाहिए. अगर इसे थामा नहीं गया तो grainsवर्किंग क्लास की वॉलेट सेलरी मिलने के अगले ही दिन पॉकेट से चिपकी दिखेगी.grains

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