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बोस्टन के म्युजिशियन कपल मिस्टर पीटर कल्पो और मिसेज सुसन कल्पो तब अमेरिका एक छोटे से आईलैंड रोडे में रहा करते थे. पांच संतानों में से बीच वाली का नाम उन्होंने ओलिविया इसलिए चुना कि वे उसके नाक नक्श से बेहद प्रभावित थे. उसका नाम उन्होंने ओलिव यानि जैतून के मद्देनजर रखा था. कल्पो फैमिली को यह आस थी कि ओलिव शब्द उनकी बेटी के रंग रूप को और निखारेगा. कल्पो दम्पति की इस कल्पना को आज हकीकत में तब्दील कर दिया उनकी 20 साल की बेटी ओलिविया कल्पो ने. ओलिविया आज इस ब्रह्मांड की सबसे खूबसूरत सुंदरी है. उसने वो कर दिखाया है जिसके लिए महाबली अमेरिका पिछले 15 सालों से तरस रहा था.
एक वक्त था जब इस कॉम्पटीशन में सिर्फ कद काठी या रंग रूप का होना ही पर्याप्त माना जाता था लेकिन अब इसमें टैलेंट का भी जबर्दस्त टेस्ट होता है. मेधा के मामले में भी ओलिविया ने सारे जजेस को इम्प्रेस किया. ऐसा नहीं है कि उसने ब्यूटी या टेलेंट को कहीं मार्केट से बॉरो किया था ये सब उसे गॉड गिफ्टेड है. जब वो पांच साल की थी तभी उसने सेलो बजाना सीख लिया और यहां वहां प्रोग्राम देना शुरु कर दिया. वक्त के साथ वो कैलिफोर्निया की सबसे बड़ी आर्केस्ट्रा बोस्टन यूथ सिमफोनी की मेन सेलो प्लेयर बन गयी. ओलिविया के बगैर आज भी इस आर्केस्ट्रा की कल्पना नहीं की जा सकती. इन सबके बावजूद ओलिविया का तमाम ब्यूटी कॉम्पटीशन्स में हिस्सा लेते रहना और अपनी खूबसूरती के प्रति कॉन्शस रहना इस बात को साबित करता है कि वो अपने मां बाप के सपनों को पूरा करने के प्रति कितना डिवोटेड भी थी.
इन सबके बीच इंडियन कॉम्पटीटर के परफॉरमेंस का जिक्र किया जाना लाजमी है. भारतीय सुंदरी शिल्पा सिंह टॉप 16 में जगह बनाने में तो कामयाब रहीं लेकिन इससे आगे वो अपना सफर नहीं बढ़ा सकीं. सुष्मिता सेन और लारा दत्ता के बाद हालांकि यह आस बंधी थी कि शिल्पा 12 साल से चल रहे टोटे को खत्म कर देंगी लेकिन सवाल जवाब के दौर में चूक जाना उसे भारी पड़ा. दरअसल इस प्रतियोगिता में शिल्पा को हिस्सा लेना ही नहीं था. उर्वर्शी रौतेला को इसमें शिरकत करनी थी लेकिन 18 साल से कम उम्र की होने के कारण उर्वर्शी लास वेगास में जाने से रह गयीं. इससे एक बात जाहिर होता है कि बाजारवाद के इस दौर में भी क्या हम प्रोफेशनल नहीं हो पाये हैं? अगर एज बाध्यता थी तो हम मिस इंडिया यूनिवर्स कॉम्पटीशन में ही उर्वर्शी को न चुनते. दुनियाभर के मुल्क इस कॉम्पटीशन के लिए ओलम्पिक की तरह तैयारी करते हैं लेकिन हम आज भी उबटन लगा कर अपना रंग रूप निखारने की कोशिश करते हें या रैपिड बुक्स से टैलेंट तराशने का काम कर रहे हैं. ये सब सुनना कितना सिली लगता है ना? छोडि़ए फिलहाल हमें निहारना चाहिए ओलिविया के ब्यूटी प्लस टैलेंट के कमप्लीट पैकेज को. हम ठीक कह रहे है ना ?
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